प्रातकाल शिव मंदिर में जाने की विधि
शिवमहापुराण== दसम खंड==अध्याय ---दूसरा
ब्रह्मा जी ने कहा की हे नारद प्रातकाल उठकर नित्यकर्म करने के उपरांत
सर्वप्रथम प्रसंतापुर्वक शिव मंदिर में जाकर भगवान सदाशिव की स्तुति करनी
चाहिए,तदपुरांत व्रत धारण करने वाले को पवित्रतापूर्वक अपने हाथ में पानी
लेकर ये संकल्प करना चाहिए की हे भगवान सदाशिव मैं आपका व्रत कर रहा हूँ
उसमे किसी प्रकार का कोई विघन न पड़े,इस प्रकार संकल्प करने के उपरांत
व्रतधारी को चाहिए की वो पूजन की सामग्री को एकत्रित कर उस स्थान पर दक्षिण
तथा पशिचिम की और आसन बिछाकर पूजन की सामग्री को वहां रखे,जहाँ कोई प्रसिद
शिवलिंग स्थापित हो,इसके उपरांत व्रतधारी कोउचित है की वो अपनी
सामर्थ्यानुसार श्रेस्ठ वस्त्र को पहन कर आसन पर बैठे और तीन बार आचमनकरने
के उपरांत शिव जी का पूजन आरम्भ करे,
हे नारद व्रतधारी को उचित है की
शिवरात्रि केमहात्मे को या तो स्वएं पढ़े अथवा किसी अन्य के दुवारा श्रवण
करे, प्रातकाल स्तुति करने के उपरांत व्रतधारी को भगवान सदाशिव के
प्रति ये विनती करनी चाहिए की हे प्रभु मैंनेश्रधापुर्वक आपके व्रत में
अपना मन लगाया है अस्तु आप मुझे अपना सेवक जानकर प्रसन हों तथामेरे सम्पूरण
मनोरथों को पूरा करें,इतना कहकर शिवजी के ऊपर पुष्पांजलि छोडनी चाहिए,इस
प्रकार व्रत की क्रियाएं सम्पूरण हो जाने के पश्चात खुश होकर ब्राह्मणों को
दान देना चाहिए,तथा अपनी समर्था के अनुसार शिव भक्तों,ब्राह्मणों तथा
यतियों को श्रेस्ठ भोजन ,दान आदि दुवारा प्रसन करना चाहिए,
रात को शिव
भजन करने चाहिए और मनन में सिर्फ शिव के नाम का जप्प करना चाहिए और सुबह
प्रातकाल उठकर शनान करके शिव मंदिर जाना चाहिए और शिव लिंग के ऊपर जल
अर्पित करके शिव स्तुति करनी चाहिए और धुप -दीप आदि जलाकर भगवान शिव की
आरती उतरनी चाहिए फिर घर आकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करना चाहिए और उसके
बाद अपने खाने का पहला हिस्सा निकालकर गऊमाता को या बैल को देना चैये फिर
खुद भोजन करना चाहिए
बोलिए भगवान भूतभावन सदाशिव शंकर भगवान जी की= जय
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